केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकता
संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले लोगों को ओबीसी और दलित विरोधी है
घोषित कर दिया जाना चाहिए। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान,
बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के कारण वहां से आने वाले लोगों
में अधिकतर शर्णार्थी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वर्ग से हैं।
उन्हें सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता कानून लेकर
आए हैं।
नित्यानंद राय ने ओबीसी समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर
कोई सीएए का विरोध करता है तो उसे दलित विरोधी और ओबीसी विरोधी घोषित कर
देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए का विरोद ओबीसी समुदाय पर हमला है।
मुट्ठी भर लोग बाहर निकल आए हैं और संशोधित कानून का विरोध कर रहे हैं।
ओबीसी लोगों को सिंह के समान गर्जना करनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों से
ज्यादा तेज आवाज उठानी चाहिए।
गृह राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रीय
विद्यालयों में ओबीसी छात्रों को आरक्षण देने के लिए बधाई। हमारे
प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व किया, सीएए लाए, पाकिस्तान से
विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को वापस लाए। केवल एक ओबीसी ही ऐसा कर सकता
था।
धर्म के आधार पर नागरिकता से वंचित नहीं किया जा सकता: पासवान
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि कोई भी सरकार किसी
भारतीय की नागरिकता को नहीं छीन सकती है। मंत्री ने नागरिकता संबंधित
कदमों पर लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए यह बात कही।
केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी तथा लोक जनशक्ति पार्टी के नेता पासवान ने कहा कि चाहे दलित हों, आदिवासी हों, पिछड़ा हो, अल्पसंख्यक हो या उच्च जाति का हो, ये देश के मूल निवासी हैं, नागरिकता उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे कोई भी सरकार छीन नहीं सकती। किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा।
जहां तक राष्ट्रीय नागरिक पंजी का सवाल है, इस पर अबतक कोई चर्चा नहीं हुई है लेकिन इसका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को धार्मिक आधार पर नागरिकता से वंचित नहीं किया जा सकता है।
पासवान ने कहा कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता मेरा और मेरी पार्टी लोजपा का मिशन है। मैंने जीवनभर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है । उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार नागरिकता तो दूर रही, इनके अधिकार पर उंगली नहीं उठा सकती है।
पासवान ने ट्वीट कर कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनयम को लेकर पूरे देश में सुनियोजित तरीके से भ्रम फैलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने बार-बार कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने के लिए है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इस कानून के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय नागरिकों से इसका कोई लेना देना नहीं है ।
पासवान ने कहा कि 2003 में नागरिकता कानून में संशोधन किया गया जिसमें राष्ट्रीय नागरिक पंजी की अवधारणा तय हुई थी। 2004 में संप्रग की सरकार बनी जो इसे वापस ले सकती थी। लेकिन इसे वापस लेने की बजाय सात मई 2010 को लोकसभा में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा था-यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का उपवर्ग होगा।